NCF-SE 2023 में अन्तर्विषयकता
वक्ता : निमरत कौर
वक्तव्य एवं चर्चा हिन्दी में होगी I
यह सवाल कि स्कूली शिक्षा में विषयों को अलग-अलग सिखाया जाए अथवा एक‑दूसरे के साथ जोड़कर, हमेशा बहस का विषय रहा है। अकादमिक तौर पर यह माना जा सकता है कि हर विषय का अपना ज्ञानमीमांसात्मक ढाँचा होता है किन्तु सीखने वाले के अनुभव क्षेत्र में यह अमूमन अलग-अलग नहीं होता।
यह एक कारण है जिसकी वज़ह से NCF-SE 2023 में विषयों के अन्तर्सबन्धों पर ख़ास ज़ोर दिया गया है। कक्षा के बाहर का जीवन विज्ञान और गणित जैसे विषयों में बँटा हुआ नहीं है। रोज़मर्रा के जीवन में – हमारे सामने जो मुद्दे या स्थितियाँ आती हैं, उन्हें हम कई आयामों के सन्दर्भ में समझते हैं।
यही सीखने वाले का अनुभव है और उसके सीखने का आधार है, अत: ज़रूरी हो जाता है कि पाठ्यचर्या में भी इसका ध्यान रखा जाए। ताकि विद्यार्थियों में किसी भी स्थिति को अलग-अलग पक्षों के आलोक में समझने की क्षमता विकसित हो। एक उदाहरण देखें, पर्यावरण के मुद्दों को केवल विज्ञान के नज़रिए से नहीं देखा जा सकता। पर्यावरण की स्थिति का और पर्यावरण की स्थिति पर लोगों की रोज़ की ज़िन्दगी, उनकी जीविका, उनके रहन-सहन, उनके रीति-रिवाज का गहरा असर पड़ता है।
प्राकृतिक और सामाजिक पर्यावरण का परस्पर गहरा सम्बन्ध है और उनका हमारे जीवन पर जो असर है उसे अन्तर्विषयक दृष्टिकोण से ही समझा जा सकता है। इसी तरह हमारे सामने जो मुद्दे हैं और जिन स्थितियों का हम सामना करते हैं, उनमें अक्सर नीतिसंगत और नैतिक प्रश्न उठते हैं। इन प्रश्नों को भी अन्तर्विषयक दृष्टिकोण से समझकर ही हम एक बेहतर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इन सभी के मद्देनज़र पाठ्यक्रम में अन्तर्विषयकता को पाठ्यचर्या रूपरेखा में क्यों और कैसे शामिल किया गया है, इसे वेबिनार में प्रस्तुत किया जाएगा।
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वक्ता का परिचय
डॉ. निमरत कौर अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बेंगलूरु के स्कूल ऑफ कोंटीनुइंग एजूकेशन में कार्यरत हैं। वे शिक्षा नीति के कार्यान्वयन, शिक्षक‑शिक्षा, आकलन और पेशेवर विकास में अनुभव रखती हैं।