संविधान और संवाद की संस्कृति

पाठशाला पत्रिका के अंक 19 में प्रकाशित लेख संविधान और संवाद की संस्कृति’ के लेखक अमन मदान के साथ चर्चा में जुड़ें। 

Pathshala webinar 22 May 2024 You Tube

मानव समाज में विविधता होना लाजिमी है। यह विविधता विचारों, सामाजिक – आर्थिक स्तर व और भी कई आयामों में हो सकती है। इन सभी विविधताओं के साथ ही हमें अपने संविधान के अनुसार ऐसा समाज बनाना है, जिसमें सभी इंसानों के लिए पारस्परिक इज़्ज़त हो। 

यह लेख संविधान की अपेक्षाओं में शामिल लोकतंत्र, इंसानी व्यवहार, बन्धुत्व, दोस्ती, ताक़त, विरोध जैसे शब्दों को खँगालता है, और इन्हें व इनके अंतर्सम्बन्धों को समझने में मदद करता है। यह संवाद को लोकतंत्र के फलने – फूलने के लिए आवश्यक पहलू के रुप में रखता है, और संवाद की संस्कृति कैसे बनाई जाए, इसके कुछ तरीक़े प्रस्तुत करता है।

लेख यहाँ पढ़ें: https://​bit​.ly/​3​y​fhja2

लेखक व प्रस्तुतकर्ता : अमन मदान

चर्चा करेंगे : जगमोहन सिंह कठैत 

चर्चा हिन्दी में होगी। 

चर्चा में शामिल होने के लिए लिंक: 

वक्ताओं के बारे में

अमन मदान ने मानवशास्त्र और समाजशास्त्र का अध्ययन किया है। पिछले तीन दशकों से शिक्षा और समाज के मुद्दों पर अध्यापन एवं शोध के क्षेत्र में संलग्न हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल में अध्यापन कर रहे हैं।

जगमोहन सिंह कठैत दो दशकों से शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे है। विगत 15 वर्षों से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन में काम कर रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन की संवैधानिक मूल्यों पर आधारित पहल का नेतृत्व कर रहे हैं। 

If you know other teachers and educators who would be interested, please invite them to register at http://​bit​.ly/​P​a​t​h​s​h​a​l​a​R​e​g​ister

To subscribe to the online and print editions of the Pathshala magazine, click here.

To receive information about Pathshala Live Webinars, register here.