बच्चे कैसे सीखते हैं?

रचनावाद से एक परिचय
वक्‍ता :
साधना सक्सेना
वक्‍तव्‍य एवं चर्चा हिन्दी में होगी।

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रचनावाद की समझ के अनुसार बच्चे ज्ञान के निर्माता होते हैं। इसमें शिक्षक का काम सिर्फ़ फैसिलिटेटर यानी मददगार का होता है। इससे विज्ञान के शिक्षक भ्रमित हुए कि कक्षाओं में उन्हें विज्ञान का ज्ञान देना है या नहीं। यहाँ सीखने कि पद्धति और ज्ञान का सृजन के विमर्शों को समझना ज़रूरी है। इनमें से पहले की जड़ें अधिगम के सिद्धांतों (मनोविज्ञान) में हैं और ज्ञान के सृजन का संबंध दर्शनशास्त्र की शाखा ज्ञान‑मीमांसा से है। इस वेबिनार में, इन संदर्भों में, रचनावाद पर बात की जायेगी।

वेबिनार में शामिल हो :

वक्‍ता का परिचय

साधना सक्सेना : किशोर भारती संस्था के साथ लगभग 15 वर्षों तक काम करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में 17 वर्षों तक और IISER Mohali में 4 वर्ष तक पढ़ाया। विज्ञान शिक्षा, शिक्षा और समता व न्याय, शिक्षा और जेंडर और शिक्षा और संघर्ष जैसे विषयों पर शोध और लेखन है। बच्चों की शिक्षा में भी विशेष रुचि रही है।