सीखना: विविध आयाम
हम कब कहते हैं कि हमने सब सीख लिया?

हम सभी जीवन भर सीखते हैं। सीखने में छोटी-छोटी बातें जैसे रस्सी कूदना सीखना या रिश्ते नाते जानना से लेकर स्व की पहचान, स्व के मायने आदि तक शामिल है। कैसे सीखते हैं हम यह सब? हम कब कहते हैं कि हमने सब सीख लिया? या फिर कभी भी कह नहीं पाते। क्या यह सीखना स्कूलों में सीखने की प्रक्रिया से अलग है? इन्हीं कुछ बातों पर चर्चा के लिए आप वेबीनार में आमंत्रित हैं।
वक्ता : निशा बुटोलिया
वक्तव्य एवं चर्चा हिन्दी में होगी I
वेबिनार में शामिल होने के लिए यहाँ क्लिक करें-
वक्ता का परिचय
निशा बुटोलिया अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, भोपाल में शिक्षा का समाज शास्त्र और भाषा शिक्षण से सम्बंधित विषय पढ़ाती हैं। इनका राज्यों में जिला एवं राज्य स्तरीय अधिकारियों के पेशेवर विकास कार्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों, तथा पाठ्यपुस्तक व अन्य पठन‑पाठन सामग्रियों के विकास में योगदान रहा है।