विद्यालयी शिक्षा में कला व शारीरिक शिक्षा

आवश्यकता, वर्तमान परिस्थितियाँ, सम्भावनाएँ व चुनौतियाँ | 11,12 एवं 13 अगस्त 2023| शैक्षिक संगोष्‍ठी, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल

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कला शिक्षा व शारीरिक शिक्षा को हमेशा से ही शिक्षा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है। नीति एवं वैचारिक दस्तावेज़ों में भी रेखांकित किया जाता रहा है कि खेल व कला के सभी पहलू, बौद्धिक विकास एवं औपचारिक विषयों की अवधारणाओं की समझ के विकास में महती भूमिका अदा करते हैं। यह भी कि समाजीकरण की प्रक्रिया एवं भावनात्मक और संवेदनात्मक विकास में भी कला व खेलकूद की अहम भूमिका है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 और कला, संगीत, नृत्य और रंगमंच पर पोजीशन पेपर, दोनों ही दस्तावेज़, कला व कला-एकीकृत शिक्षा की वकालत करते हैं। ये दोनों दस्तावेज़ संगीत, नृत्य, दृश्य कला और थिएटर को एक अनिवार्य हिस्से (दसवीं कक्षा तक) के रूप में स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने पर ज़ोर देते हैं। इसी तरह, शिक्षा में खेलों को एकीकृत करने की हिमायत करते हुए राष्ट्रीय खेल नीति 2001 खेलों एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक पाठ्यक्रम के साथ मिलाने तथा इसे सेकेण्डरी स्कूल तक शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाने और इसे विद्यार्थी की मूल्यांकन पद्धति में सम्मिलित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 

किन्तु वास्तविक स्कूली परिस्थितियों में ज्ञान के इन दोनों हिस्सों के प्रति उदासीनता ही दिखाई देती है। स्कूली शिक्षा में भी चन्द विषयों को ही मुख्य माना जाता है और इन पर ही विशेष ज़ोर दिया जाता है। इन विषयों में बच्चों की उपलब्धियों को जाँचने के लिए मासिक परीक्षण और वार्षिक परीक्षाओं सहित पूरे वर्ष मूल्यांकन के लिए एक औपचारिक प्रक्रिया होती है। 

चूँकि कला और खेल शिक्षा में अंकों द्वारा मूल्यांकन करना पूरी तरह सम्भव नहीं होता है और उनकी प्रकृति के मद्देनज़र, न ही इस तरह का मूल्यांकन इन विषयों में बच्चों की उपलब्धता को सही से दर्शा सकता है इसलिए न तो शिक्षक, न ही विद्यार्थी और न ही उनके अभिभावक यहाँ तक कि स्कूल भी इसे गम्भीरता से नहीं लेते हैं। 

इसी के चलते इन पर न संसाधन, न समय कुछ भी निवेश नहीं किया जाता है। दस्तावेज़ों व यथार्थ के बीच इतना बड़ा अन्तर निश्चय ही चिन्ता व मंथन का विषय है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में कला और खेलकूद की स्कूली शिक्षा में जगह के मुद्दे पर विचार और संवाद और भी महत्त्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि नई शिक्षा नीति 2020 ने इसे अपनी वैचारिक समझ का प्रमुख हिस्सा माना है, और इसके महत्त्व को स्वीकार करते हुए यह नीति शिक्षा में भारतीय कलाओं, खेलकूद और संस्कृति को बढ़ावा देने पर ज़ोर देती है।

शारीरिक शिक्षा, खेलकूद व कला शिक्षा की स्कूल में जगह पर मंथन की महती आवश्यकता है। यह समझने व विचार करने की आवश्यकता है कि यह क्यों महत्त्वपूर्ण है, नीति दस्तावेज़ इनके बारे में क्या कहते हैं, स्कूलों व शिक्षा व्यवस्था के अन्य हिस्सों में इसका क्या स्थान है व आज इसकी स्थिति क्या है, इन्हें शामिल करने के लिए किस‑किस तरह के व्यवस्थित अथवा प्रयोगात्मक छोटे-छोटे प्रयास हुए हैं, इन सबके क्या अनुभव रहे हैं व इनके आलोक में आगे बढ़ने का क्या रास्ता हो सकता है व इनके ज्य़ादा गम्भीरता से शामिल होने में प्रमुख अड़चनें किस प्रकार की हैं (आर्थिक हैं, व्यवस्थागत हैं, सामाजिक हैं, सांस्कृतिक हैं आदि-आदि)।

यह संगोष्ठी इन सभी मसलों के इर्द‑गिर्द संवाद को बढ़ावा देने के लिए है।

कुछ उपविषय जो इस सन्दर्भ में हो सकते हैं : 

  1. स्कूलों में खेल व कला शिक्षा : दस्तावेज़ों में उनके प्रति दृष्टिकोण व उसका विकास/ कला और खेल शिक्षा – परिप्रेक्ष्य 
  2. इंसान के विकास और गहराई से सीखने में कला और खेल शिक्षा का योगदान 
  3. ज्ञान के एक हिस्से के रूप में कला और खेलकूद व शारीरिक शिक्षा
  4. कला शिक्षा और खेल शिक्षा के सन्दर्भ में हुए प्रयोग
  5. कला शिक्षा और खेल शिक्षा की मौजूदा स्थिति व सम्भावनाएँ 
  6. कला शिक्षा और खेलकूद : जेंडर, विशेष क्षमता वाले बच्चे, सभी की भागीदारी 
  1. सभी विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति दिलचस्पी पैदा करने और उनके लिए शिक्षा को अर्थपूर्ण बनाने में इनकी भूमिका 
  2. पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक स्तर के लिए कला व खेल शिक्षा का दृष्टिकोण व स्वरूप 
  3. विषयों की चारदीवारी और कला शिक्षा व खेलकूद 
  1. कला और खेल का अन्य विषयों के साथ समेकन/ अन्तर सम्बन्ध : नवाचार, प्रतिफल, चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ
    (अ) इस स्तर पर विषयों के शिक्षण में कला की जगह
    (ब) कला व खेलों और विषय शिक्षण से इनका जुड़ाव
  2. कला और खेलकूद शिक्षण के लिए पाठ्यक्रम निर्धारण : मौजूदा स्थिति, चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ
  3. माध्यमिक स्तर के लिए कला व खेल शिक्षा का दृष्टिकोण व स्वरूप
  1. कला शिक्षा व खेलकूद : शिक्षकों की तैयारी
  2. सामान्य शिक्षा महाविद्यालयों में कला और खेल के लिए तैयारी की सम्भावनाओं का विश्लेषण 
  3. कला शिक्षा और खेलकूद : स्कूलों की तैयारी 

आयोजक :

अज़ीम प्रेमजी विश्‍वविद्यालय, भोपाल

एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्‍थान मोहाली, पंजाब

आयोजन स्‍थल :

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्‍थान मोहाली, पंजाब (IISER)

कार्यक्रम‑विवरण

कृपया कार्यक्रम विवरण यहां पाएं।

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