‘सीखना कक्षा के बाहर भी हो सकता है’ और ‘सीखने-सिखाने की ओर एक क़दम’
पाठशाला पत्रिका के अंक 18 में प्रकाशित लेखों की लेखिका टीना और सोनिया कुंडू के साथ चर्चा में शामिल हों।
पाठशाला पत्रिका के अंक 18 में प्रकाशित लेख ‘सीखना कक्षा के बाहर भी हो सकता है’ के लेखक टिना और लेख ‘सीखने-सिखाने की ओर एक क़दम‘ के लेखक सोनिया कुंडू के साथ चर्चा में जुड़ें।
लेखक व प्रस्तुतकर्ता : टिना और सोनिया कुंडू
चर्चा करेंगी : कृति श्रीवास्तव
चर्चा हिन्दी में होगी।
सीखना कक्षा के बाहर भी हो सकता है
महामारी के दौर में बच्चों की पढ़ाई का बहुत ज़्यादा नुक़सान हुआ है। इस नुक़सान की भरपाई के लिए तरह-तरह के प्रयास किए गए, जो आज भी जारी हैं। एक ऐसे ही प्रयास का अनुभवपरक व योजनाबद्ध चित्रण इस लेख में है। यह प्रयास गर्मी की छुट्टियों में लगने वाले सीखना-सिखाना शिविरों के दौरान किया गया। लेखिका बताती हैं कि इन शिविरों में हर दिन को सर्कल टाइम, भाषा गतिविधि, गणित गतिविधि और फ़न टाइम में बाँटकर इस तरह की सीखने-सिखाने और खेल की विभिन्न गतिविधियाँ की गईं जिनसे बच्चे भाषायी व गणितीय कौशल सीखने की ओर आगे बढ़े।
लेख यहाँ पढ़ें : https://bit.ly/3PtqJER
सीखने-सिखाने की ओर एक क़दम
छोटे बच्चों को मौखिक भाषा से लिखित भाषा तक कैसे ले जाया जा सकता है; विभिन्न उपकरण इसमें सहायक कैसे हो सकते हैं; और कहानियों, नाटकों या चित्रों की इस प्रक्रिया में क्या भूमिका हो सकती है? यह लेख इन्हीं सवालों का व्यवहारिक जवाब देता है। अपनी कक्षा में बुनियादी भाषा सिखाने की प्रक्रिया में लेखिका ने कहानियों, नाटकों, चित्रों आदि उपकरणों का इस्तेमाल किया और नतीजतन बच्चों की भाषा सीखने की गति बढ़ी। इन कक्षा प्रक्रियाओं से बच्चे मौखिक भाषा से आगे बढ़ते हुए लिखित भाषा के शब्दों को पहचानना और उनको सरल रूप में लिखना सीख सके।
चर्चा में शामिल हो :
वक्ताओं के बारे में
टिना
टिना राजेन्द्र कटकवार, अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन, बलोदा बाज़ार छत्तीसगढ़ में सन्दर्भ व्यक्ति के रूप में कार्य कर रही हैं। इसके पहले उन्होंने स्वदेश फ़ाउण्डेशन, लर्निंग लिंक्स फ़ाउण्डेशन आदि में काम किया है। वे कई सालों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से की है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने में उनकी विशेष दिलचस्पी है।
कृति श्रीवास्तव
कृति ने शिक्षा में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल किया है और लगभग दस वर्षों से शिक्षा में काम कर रही हैं।nपिछले चार सालों से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन के साथ जुड़ी हैं। वर्तमान में जिला दमोह, मध्य प्रदेश टीम के साथ काम कर रही हैं।
सोनिया कुंडू
सोनिया कुंडू तकरीबन तीन साल से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन स्कूल, उत्तरकाशी, उत्तराखंड में अध्यापन कर रही हैं। आपको पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों के साथ कम करने का अच्छा अनुभव है।