ज्ञान की उत्पादकता और उत्पादकता का ज्ञान
वक्ता : संजय शर्मा
वक्तव्य एवं चर्चा हिन्दी में होगी I
21वीं सदी केवल शिक्षार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी उतनी ही चुनौतीपूर्ण है। यह एक ऐसा अवसर है जहां शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही ज्ञान की नूतन प्रवृत्तियों , विषयवस्तु एवम् संदर्भों के साथ पहली बार अंतर्क्रिया कर रहे है। ज्ञान की उत्पादकता अब एक नए अर्थ — संदर्भों में परिभाषित हो रही है, जहां उत्पादकता का ज्ञान ही शिक्षा का अभिष्ट मान लिया गया है। ऐसे में शिक्षा को लेकर नए प्रतिमान निर्मित किए जा रहे है, जिन्हें फ़िलवक्त समझने की आवश्यकता है। ऐसा करके ही हम शिक्षा के मूलगामी विचार के साथ संवाद कर सकते हैं।
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वक्ता का परिचय
डॉ. संजय शर्मा, शिक्षा में नीति और दलित विमर्श के अध्येता है। विद्यालयीय शिक्षा में गुणात्मक बदलावों के लिए शिक्षणशास्त्रीय नवाचारों को आवश्यक मानते है। समाजविज्ञान शिक्षण अधिगम केंद्र, डॉक्टर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय (सागर) में इस हेतु कार्यशील है।