लेख: कविता शिक्षण के मज़े’ और कविता शिक्षण और पढ़ना’

लेखक व प्रस्तुतकर्ता : धर्मपाल गंगवार और ओम प्रकाश विश्वकर्मा

चर्चा करेंगे : अमित मिश्रा

Pathshala webinar 24 July 2024 LN

छोटे बच्चों को न सिर्फ़ कविताएँ सुनना-सुनाना और गुनगुनाना अच्छा लगता है, वे इनके साथ खेलते भी हैं और अपने कल्पना के संसार से इन कविताओं को जोड़ते भी हैं। यदि बच्चों को कविता पढ़ाने वाले ऐसे शिक्षक मिल जाएँ जो उन्हें कविताओं से खेलने और बात करने के भरपूर मौक़े देते हों, तो फ़िर कविता पढ़ने और कविता के ज़रिए भाषा सीखने का मज़ा कई गुना बढ़ जाता है। इस वेबिनार में आप ऐसे ही दो शिक्षकों से कविता पढ़ाने के अनुभवों पर बातचीत का आनंद लेंगे। 

पाठशाला पत्रिका के अंक 19 में प्रकाशित लेख कविता शिक्षण के मज़े’ के लेखक धर्मपाल गंगवार और लेख कविता शिक्षण और पढ़ना’ के लेखक ओम प्रकाश विश्वकर्मा के साथ चर्चा में जुड़ें। चर्चा हिंदी में होगी। 

लेख यहाँ पढ़ें : https://​bit​.ly/​3​W​9OsfF और https://​bit​.ly/​3​y​2NN7J

चर्चा में शामिल होने के लिए लिंक :

वक्ताओं के बारे में 

धर्मपाल गंगवार

धर्मपाल गंगवार राजकीय प्राथमिक विद्यालय हल्दीपचपेड़ा, खटीमा, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड में प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। वे 27 सालों से अध्यापन से जुड़े हुए हैं। उनकी शैक्षिक मुद्दों, भाषा शिक्षण व बच्चों के लिए पुस्तकालय में गहरी रुचि है। वे अपने स्कूल में बच्चों के साथ नए-नए प्रयोग करते रहे हैं और सीखने – सिखाने का सक्रिय माहौल बना पाए हैं। उनकी स्वयं की भी पढ़ने – लिखने में रुचि है। वर्तमान में वे इस रुचि को अपने साथियों में भी एक समूह के माध्यम से विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। 

ओमप्रकाश विश्वकर्मा

ओमप्रकाश विश्वकर्मा शासकीय प्राथमिक शाला, भूसा विकासखण्ड, खुरई, सागर में पदस्थ हैं। वे पिछले 17 वर्षों से प्राथमिक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही विभिन्न शिक्षक- प्रशिक्षणों में प्रशिक्षक के रूप में भी योगदान देते हैं। इनकी रुचि बाल साहित्य को पढ़ने-पढ़ाने और समझने में है।

अमित मिश्रा 

अमित मिश्रा भाषा और साहित्य के विद्यार्थी हैं। आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक और हिन्दू महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय से परा स्नातक किया है। पिछले 10 वर्षों से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन में विभिन्न भूमिकाओं में उत्तरदायित्व निभाते रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी स्कूल, उत्तरकाशी में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले जयपुर और बाड़मेर में भाषा के सन्दर्भ व्यक्ति के रूप में कार्य किया है। साहित्य और पढ़ने-लिखने में विशेष रुचि है।