पाठशाला | विज्ञान, वैज्ञानिक सोच और वैज्ञानिक मानसिकता
पाठशाला पत्रिका के अंक 14 में प्रकाशित लेख विज्ञान, वैज्ञानिक सोच और वैज्ञानिक मानसिकता के लेखक हृदय कान्त दीवान के साथ चर्चा में जुड़ें।

वैज्ञानिक सोच सिर्फ विज्ञान शिक्षण या किसी विषयवस्तु तक सीमित नहीं है बल्कि यह तार्किक और विवेकशील नज़रिया विकसित होने के बारे में है। और यह नजरिया वैज्ञानिक अवधारणाओं तक ही नहीं बल्कि पूरे समाज, उसकी परम्पराओं, नियमों और व्यवस्थाओं पर सोचने व सवाल करने से जुड़ा है। हमारी शिक्षा में इसकी बड़ी ज़रूरत है। लेखक ने गौहर रज़ा के वक्तव्य को आधार बनाते हुए अपना विश्लेषण रखा है।
चर्चा करेंगी : टुलटुल बिस्वास
चर्चा हिन्दी में होगी।
लेख यहाँ पढ़ें : https://bit.ly/3MLW2tZ
वक्ताओं के बारे में
हृदय कान्त दीवान वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलूरु में प्रोफ़ेसर हैं और शुरूआती दिनों से ही अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन से जुड़े हैं और पिछले चार दशकों से शिक्षकों के पेशेवर विकास, पाठ्यचर्या निर्माण और शिक्षा में व्यवस्थागत परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं।
टुलटुल बिस्वास
टुलटुल बिस्वास एकलव्य फ़ाउण्डेशन के शिक्षा कार्यक्रम में कोई चार दशक से जुड़ी हैं और मुख्यतः शिक्षक प्रशिक्षण के कार्यक्रम का समन्वय करती हैं। वे एकलव्य की बहुचर्चित बाल विज्ञान पत्रिका चकमक के संपादन जुड़ी रही हैं। रसायनशास्त्र और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर टुलटुल की बाल साहित्य में विशेष रुचि है।
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