कैसे साथ‑साथ चल पाए पढ़ना-लिखना और सुनना-बोलना और पढ़ने की घण्टी ने बदली विद्यालय की छटा
पाठशाला पत्रिका के अंक 16 में प्रकाशित लेखों के लेखकों महेश झरबड़े और श्याम सुंदर के साथ चर्चा में जुड़ें।

पाठशाला पत्रिका के अंक 16 में प्रकाशित लेख ‘कैसे साथ‑साथ चल पाए पढ़ना-लिखना और सुनना-बोलना’ के लेखक महेश झरबड़े और ‘पढ़ने की घण्टी ने बदली विद्यालय की छटा’ के लेखक श्याम सुंदर के साथ चर्चा में जुड़ें।
लेखक व प्रस्तुतकर्ता : महेश झरबड़े और श्याम सुंदर
चर्चा करेंगी : कृति श्रीवास्तव
चर्चा हिन्दी में होगी।
लेख यहाँ पढ़ें : https://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/3817/ और https://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/3824/
चर्चा में शामिल होने के लिए लिंक :
वक्ताओं के बारे में
कृति श्रीवास्तव
कृति ने शिक्षा में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल किया है और लगभग दस वर्षों से शिक्षा में काम कर रही हैं। पिछले चार सालों से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन के साथ जुड़ी हैं और वर्तमान में जिला दमोह, मध्य प्रदेश टीम के साथ काम कर रही हैं।
महेश झरबड़े
महेश 15 सालों से बच्चों एवं युवाओं के साथ शिक्षा सम्बन्धी कामों से जुड़े रहे हैं l एकलव्य के शिक्षा प्रोत्साहन केन्द और मुस्कान के जीवन शिक्षा पहल स्कूल में बच्चों व युवाओं के विभिन्न मुद्दों को शिक्षा के साथ जोड़कर देखने का प्रयास किया है l आदिवासी और वंचित तबकों के लिए किस तरह की शिक्षा हो, ये समझने का प्रयास जारी है l वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में कार्यरत हैं l
श्याम सुंदर
श्याम सुंदर आर्या को शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने का दस वर्ष का अनुभव है आपने स्नातकोत्तर के साथ ही बीएड किया है l उन्हें बच्चों के साथ नए-नए काम करना और उनकी शिक्षा के बारे में लिखना अच्छा लगता है वर्तमान में राजकीय प्राथमिक विद्यालय व्हीलकुलवान, ब्लॉक गरुड़, बागेश्वर में प्रधान अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं l